नूंह हिंसा को लेकर पाकिस्तानी अख़बार ने प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी बीजेपी को निशाना बनाया।: पाकिस्तान से छपने वाले अंग्रेजी अखबार डॉन ने हरियाणा के नूंह हिंसा पर एक संपादकीय प्रकाशित की है। अपने संपादकीय में अखबार लिखता है कि भारत अगले साल होने जा रहे आम चुनाव की तैयारी कर रहा है। ऐसे में कोई भी उम्मीद कर सकता है कि चुनावों में बीजेपी को बढ़ावा देने के लिए संघ परिवार संदिग्ध तरीके अपनाएगा। इन मामलों में संघ की सबसे सफल रणनीतियों में से एक है सांप्रदायिक हिंसा को हवा देना और बीजेपी के कट्टरपंथी मतदाताओं को आश्वस्त करना कि वह अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों पर सख्त बनी हुई है।
बीजेपी शासित हरियाणा में हाल में हुई हिंसक झड़पें इसी आजमाए जा चुके तौर तरीके का हिस्सा है। आगे नूंह और गुरुग्राम की घटनाओं का जिक्र करते हुए अखबार ने लिखा है कि भारत के विपक्षी नेताओं ने इस बात को रेखांकित किया है कि जैसे जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, बीजेपी वोट हासिल करने के लिए सांप्रदायिक हिंसा, नफरती भाषण और अल्पसंख्यकों को प्रलोभन देगी। समाचार एजेंसी रॉयटर्स और एसोसिएट प्रेस ने हरियाणा के नूह से वहां के जमीनी हालात की रिपोर्ट प्रकाशित की है।
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रॉयटर्स लिखता है कि भारत की राजधानी दिल्ली में अगले महीने आयोजित होने वाले जी ट्वेंटी शिखर सम्मेलन से ठीक एक महीने पहले दिल्ली के बाहरी इलाकों में अशांति फैली हुई है। समाचार एजेंसी एपी ने लिखा है कि नौ हिंसा में 20 पुलिस अफसर घायल हुए हैं और दर्जनों गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया है। एजेंसी के मुताबिक भारत में सांप्रदायिक हिंसा कोई नई बात नहीं है। 1947 में भारतीय उपमहाद्वीप के ब्रिटिश विभाजन के बाद से समय समय पर झड़पें होती रही हैं।
लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी सरकार के तहत धार्मिक ध्रुवीकरण बढ़ गया है, जिससे अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। तुर्की के सरकारी मीडिया टीआरटी वर्ल्ड से बात करते हुए नूंह और गुरुग्राम साथ ही पलवल के कई लोगों ने यह आरोप लगाया कि पुलिस मुस्लिम पुरुषों को उनके घरों से मनमाने ढंग से गिरफ्तार कर रही है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से टीआरटी वर्ल्ड ने लिखा है कि नूह में पुलिस ने कम से कम 116 लोगों को हिरासत में लिया है। नूंह के स्थानीय हिंदू और मुस्लिम लोगों का कहना है कि वीएचपी और बजरंग दल कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में जुलूस से पहले मुसलमानों को टारगेट करने वाले उत्तेजक वीडियो और मीडिया कंटेंट वॉट्सएप, ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रकाशित किए गए थे।
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